जयपुर: भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को रोकने पर आपसी समझ विकसित करने की घोषणा के बाद, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को इस फैसले की जानकारी दी। यह फैसला आते ही देशभर में एक अजीब सी शांति छा गई, लेकिन इस शांति के भीतर एक गहरी बेचैनी भी महसूस की जा रही है।
Prime Time India ने आदित्य तिक्कू से इस फैसले पर उनकी प्रतिक्रिया ली। आदित्य तिक्कू ने कहा, "सरकार का निर्णय स्वीकार है, लेकिन इसे स्वीकार करना भारी मन से है। एक नागरिक के तौर पर मेरे मन में यह भाव स्पष्ट है कि अगर यह अभियान एक सप्ताह और चलता, तो शायद पाकिस्तान आने वाले दशकों तक आतंकवाद के खेल से तौबा कर लेता। अभी उसे ज़रूर चोट पहुँची है, लेकिन IMF और चीन की मदद से वह फिर खड़ा हो जाएगा।"
आदित्य तिक्कू ने आगे कहा, "मेरे विचार में, यह वही समय था जब हम पीओके का कुछ हिस्सा फिर से अपने में मिला सकते थे। बलूचिस्तान की आज़ादी में निर्णायक भूमिका निभा सकते थे। अगर यह हो जाता, तो यह आधुनिक भारत की सबसे गौरवशाली उपलब्धियों में गिना जाता।"
फिर उन्होंने कहा, "अब जब निर्णय हो गया है, तो उसे एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में स्वीकार करना होगा। लेकिन यह मत समझिए कि यह मौन स्थायी होगा। कुछ समय बाद, हम प्रश्न करेंगे — और करने ही चाहिए। क्योंकि सवाल करना, सचेत रहना, विचार करना — यही तो एक लोकतंत्र की आत्मा है।"
आदित्य तिक्कू ने यह भी जोड़ा, "हमें समझना होगा कि यह सिर्फ एक युद्धविराम नहीं है। यह उस ऐतिहासिक अवसर का क्षणिक ठहराव है, जिसे यदि हमने पूरी तरह जिया होता, तो इतिहास में हमारी छवि और भी तेजस्वी बन सकती थी।"
उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, "हमें अब भी सतर्क रहना है, जागरूक रहना है। राष्ट्रप्रेम केवल सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से सिद्ध नहीं होता। वह तब सिद्ध होता है, जब हम सरकार से सवाल भी उसी दृढ़ता से करते हैं, जैसे सीमा पर हमारे सैनिक दुश्मन से लड़ते हैं।"
आदित्य तिक्कू ने कहा, "यह लड़ाई केवल LOC पर नहीं है — यह लड़ाई हर उस हिंदुस्तानी के भीतर है, जो अपने राष्ट्र के मान, स्वाभिमान और संप्रभुता को सर्वोपरि मानता है।
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